कविता तो हमेशा से ही एक हुक्मउदूली है: राजेश जोशी
हमने जिन्हें इत्यादि कह दिया है दरअसल वही इस समाज को बना रहे हैं।
हमने जिन्हें इत्यादि कह दिया है दरअसल वही इस समाज को बना रहे हैं।
प्रगतिशील कवि भगवत रावत का जन्म 13 सितम्बर, 1939; ग्राम—टेहेरका, ज़िला—टीकमगढ़ (म.प्र.) में हुआ। भगवत रावत समकालीन हिन्दी कविता के शीर्षस्थ कवि, साहित्यकार और मेहनतकश मज़दूरों के प्रतिनिधि कवि के रूप में प्रसिद्ध रहे। उन्होने समाज की अमानवीय स्थितियों के विरोध में भी कई कविताएं लिख। वे मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष और ‘वसुधा’ पत्रिका के संपादक भी रहे। भगवत रावत …
जीवन को बचा लेने, सुंदर बना लेने की चाह रखती भगवत रावत की कविता – ‘करुणा’ Read More »
आइए, आज प्रतिबद्ध कवि राजेश जोशी की एक कविता “मारे जाएंगे” पढ़ते हैं| यह कविता एक सच है, अपने लिखे जाने के समय के साथ-साथ यह आज के समय का भी सच है, सच जिसे ढक दिया जाता है, छिपा दिया जाता है, उसे राजेश जोशी अपनी कविताई में उजागर कर देते हैं और उनकी यह प्रतिबद्धता उनकी ज़िद भी है। यह कविता राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित ‘प्रतिनिधि कविताएं: राजेश जोशी’ संकलन में मौजूद है।
2 जुलाई सन् 1948 में बिहार मुंगेर जिले में जन्मे आलोक धन्वा की पहली कविता ‘जनता का आदमी’ 1972 में ‘वाम’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।
और अब तो
दोनों में एक होकर रहेगा—
या तो ज़मीन से भगवान उखड़ेगा
या आसमान में धान जमेगा।