आज रिक्शा चलाते हैं कल देश चलाएंगे

image

अभी – अभी मॉर्निंग वॉक से लौटा हूँ। पार्क से लौट रहा था तो रास्ते में ये जनाब मिल गए। रिक्शा पर बैठे हुए। अध्ययनमें मग्न। मैं रिक्शे से दूर 10 कदम आगे बढ़ चूका था। फिर क्या मन हुआ , वापस लौटा। उसके पास गया और हेलो किया। जनाब का नाम सुनील है। रिक्शा चलाते हैं। घर लखीमपुर खीरी जिला है। बात हुई। ग्रेजुएट हैं। यूपीपीएससी की तैयारी में जुटे हुए हैं। जानकर सुखद आश्चर्य हुआ। रिक्शा पर अरिहंत पब्लिकेशन की सामान्य ज्ञान और कुछ और किताबें रखी थी। पूछा तो पता चला कि यहीं आसपास रिक्शा चलते हैं। पूछने पर कि कमरा कहाँ ले रखा है तो बताया कमरा नहीं लिया हुआ है। ऐसे ही रिक्शे पर ही या कहीं भी रात गुजार देता हूँ। मैंने पूछा – ठंढ के मौसम में ? कहा – कहीं न कहीं अरेंजमेंट हो जाता है।
image

मैंने पूछा – कमरा क्यों नहीं ले लेते हो कुछ लोग मिलकर। फिर बताया कि तब पढाई हो पायगी ? रिक्शा चलाने वालों की आदते प्रतिदिन शाम में दारू पीने की है और 12 बजेतक हल्ला , झगड़ा फसाद करने की है। ऐसे माहौल में कैसे पढ़ पाउँगा। मुझे सहमत होना पड़ा। मैंने तस्वीर लेने का आग्रह किया तो सकुचाते हुए बोला – ले लो लेकिन छापना मत। क्यों बोला , यह नहीं बताऊँगा। इतने में दो सवारी आती हुई दिखी। लक्ष्मीनगर मेट्रो जाना था दोनों को। उसने विदा मांगी। मैंने मन ही मन उसके लिए कुछ मदद की सोचकर अगली बार जल्दी मिलने का अपने आप से वादा किया।

image

सोच रहा हूँ हर महीने प्रतियोगिता दर्पण खरीद कर दे दूँ। कुछ कॉपी भी। वह सफल होया असफल , लेकिन उसके जज्बे को सलाम करने का दिल तो जरूर करता है।

लाल बाबू ललित की वाल से:

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *