समाज की तमाम क्रूरताओं के बीच धनंजय के संघर्ष की कहानी | In Conversation with Dhananjay

विकास के तमाम शोर-शराबों के बीच भी हम अभी इतने भी सभ्य और विकसित नहीं हुए हैं कि इंसान को एक मुकम्मल इंसान के तौर पर स्वीकार सकें और उनसे वैसे ही व्यवहार कर सकें।

धनंजय चौहान को अपनी पहचान की वज़ह से जो प्रताड़नाएं झेलनी पड़ी हैं, वो इस समाज के चरित्र को नुमाया करती हैं। हमारे समाज की तमाम क्रूरताओं के बीच धनंजय ने अपनी पहचान के लिए लड़ना ज़रूरी समझा और उसे हासिल भी किया।

धनंजय पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ की पहली ट्रांस जेंडर स्टूडेंट हैं जो पीएचडी कर रही हैं। समाज के उनके प्रति किए गए व्यवहारों के बावजूद इस समाज के एक दिन सुंदर हो जाने की उम्मीद उन्होंने नहीं छोड़ी है। उनका जीवन आसान अब भी नहीं हो पाया है पर उनकी लड़ाई, उनकी जर्नी ने बहुतों को साहस दिया है।

धनंजय इस रॉन्ग वर्ल्ड को राइट बनाना चाहती हैं जहां सबके लिए सम्मानपूर्वक जीने की व्यवस्था हो, जहां सबके लिए मौके और संभावनाएं हों। जहां हम किसी की पहचान पर भौंहें न तरेड़े या अपमानित करने वाले हंसी न दें पर एम्पेथी और प्यार दें।

आइए, इस बातचीत के ज़रिए धनंजय को जानते हैं, उनकी जर्नी के ज़रिए अपने समाज को भी पहचानते हैं, ख़ुद को भी थोड़ा टटोलते हैं और बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं।

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