Swati

Dr Swati is a literature enthusiast and a poet. She writes on culture, resistance and gender.

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क्रांतिकारी कवि ‘पाश’ को याद करते हुए

पाश सत्तर के दशक में पंजाबी काव्य जगत के रौशन सितारा थे। वह अपने समाज और अपनी ज़मीन से सीधे जुड़े हुए कवि थे। पाश की कविताओं को पढ़ते हुए बार-बार आप पाठक की भूमिका भूल जाते हैं और अपने समय और अपने ख़ुद के वजूद से एक बार फिर साक्षात्कार करने लगते हैं, और एक ऐसे आत्मसंघर्ष में उतर पड़ते हैं जो अपने किसी बहुत नज़दीकी दोस्त के साथ अंतरंग ईमानदार बातचीत के दौरान ही मुमकिन हो सकता है।

भाषाएँ पूरे जीवन को अपने कंधों पर उठा कर चलती हैं – सत्यपाल सहगल

सवाल करना हल की दिशा में पहला कदम है। इसलिए हर ज़रूरी मसलों पर सवाल उठाते रहना चाहिए। फ़र्क पड़ता है – सत्यपाल सहगल

संस्थाएं स्वतंत्र और निर्भीक व्यक्तियों को अफोर्ड ही नहीं कर सकती – शायदा बानो

हम इंसान के तौर पर कहाँ जा रहे हैं हैं मुझे नहीं मालूम।, इसमें हमारे समाज का ढांचा कितना  जिम्मेदार है मैं नहीं जानती पर यह सवाल तो है ही कि हम कितना निष्पक्ष और समतामूलक समाज बना पा रहे हैं?  

“आपने घबराना नहीं है” के स्लोगन के साथ एक सुंदर जगह सिरजता सीमांचल लाइब्रेरी फाउंडेशन

साकिब कहते हैं: “दरअसल सीमित संसाधन होने की वजह से हमारा कैनवास थोड़ा छोटा है। इसलिए जो बच्चे लगातार आ रहे हैं और इन्सान बने रहने में जिनका यकीन है, फ़िलहाल हम उन पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं।”  

एक बेहतर समाज के लिए मौलिक चिंतन सबसे ज़्यादा ज़रूरी है – सुरजीत पातर

सामाज में जो क्लास डिविजन है, उसमें हायर क्लास के लोगों को लगता है कि उनके कपडे भी अलग हों और ज़बान भी अलग हों, तभी वे उच्च रह सकेंगे। बड़े माने जाएंगे। इसे बदलने का सबसे बड़ा तरीका यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर एक भाषा नीति होनी ही चाहिए|

आप भी मुक्त हों और दूसरों को भी मुक्त करें – डॉ. सरबजीत सिंह के साथ बातचीत

डॉ सरबजीत सिंह पेशे से प्रोफेसर व अध्यक्ष है, पंजाबी विभाग, पंजाबविश्वविद्यालय चंडीगढ़ के। डॉ सरबजीत सिंह स्वभाव से शिक्षक के साथ साथ एक्टिविस्ट हैं, सामाजिक न्याय के पक्षधर हैं और बराबरी वाले एक सुंदर समाज को गढ़ने में योगदान दे रहे हैं। आप सबके लिए पेश हैं डॉ सरबजीत सिंह से हुई बातचीत :

जीवन को बचा लेने, सुंदर बना लेने की चाह रखती भगवत रावत की कविता – ‘करुणा’

प्रगतिशील कवि भगवत रावत का जन्म 13 सितम्बर, 1939; ग्राम—टेहेरका, ज़‍िला—टीकमगढ़ (म.प्र.) में हुआ। भगवत रावत समकालीन हिन्दी कविता के शीर्षस्थ कवि, साहित्यकार और मेहनतकश मज़दूरों के प्रतिनिधि कवि के रूप में प्रसिद्ध रहे। उन्होने समाज की अमानवीय स्थितियों के विरोध में भी कई कविताएं लिख। वे मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष और ‘वसुधा’ पत्रिका  के संपादक भी रहे। भगवत रावत …

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ज़िन्दगी को भी प्यार की दरकार है…

हम स्वास्थ्य की बात करते तो हैं पर हम स्वास्थ्य को लेकर कितने संजीदा और कितने संवेदनशील हैं, यह भी सोचने की हमें ज़रूरत है। एक समस्या हमारे साथ यह भी है जो चीज़ें हमें दीखती नहीं, हम उनके होने की संभावना तक को नकार देते हैं। हालांकि ऊपर कही अपनी ही बात पर यदि फिर से ठहर कर सोचूं तो पाती हूं कि ऐसा नहीं है कि वे चीज़ें दीखती नहीं हैं। यहाँ यह कहना ज़्यादा सही और बेहतर होगा कि हमने देखने समझने के लिए एक अलग घेरा, एक अलग दायरा बनाया हुआ है और उसके बाहर की चीज़ें हमें असली ही नहीं लगतीं इसलिए हम बार बार उसे अनदेखा करते हैं।

सुंदर सुबह की उम्मीद को कामिल करने को प्रयासरत : शबनम

शबनम 2015 से वीडियो वॉलेंटियर के साथ जुड़ी हुई हैं और समृद्ध सांस्कृतिक-राजनीतिक विरासत वाले वाराणसी क्षेत्र में बतौर वीडियो एक्टिविस्ट काम कर रही हैं। वे अब तक कई महत्वपूर्ण विषयों मसलन सफ़ाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, जेंडर आदि पर रिपोर्टिंग कर चुकी हैं। स्त्री शिक्षा के लिए वे अतिरिक्त प्रयास कर रही हैं और अपने समुदाय में उन्होंने एक डिस्कशन क्लब बनाया हुआ है जिसके माध्यम से वे लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक बना रही हैं क्योंकि वे इस बात में यकीन करती हैं कि शिक्षा के ज़रिए ही बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।